Monday, August 3, 2009
खत्म हो रहा हूं मैं
इस जर्जर काया को और कितने दिन पहनूंगा। ईश्वर की मर्जी को टाला नहीं जा सकता। जीवन का मोल मैंने पहचान लिया, शायद बहुत देर हो गयी। रोशनी की जगमगाहट बिखर चुकी कब की। अब दिया बुझने को है, अब सांस थमने को है।
समय को पकड़ने की कोशिश में खुद को भूल गया। पर लगता है आज मैं ठहर गया। उड़ने की चाह होती है, मगर क्या करें, पंख अब इतराने से डरते हैं, फड़फड़ाने से डरते हैं।
इन हाथों को कांपने से मैं रोक नहीं पा रहा। सरकने की आदत नहीं, मजबूरी है। थकान होती है अब। सब नीरस–सा लगता है।
इंसान जो चाहता है, हासिल करने के लिए जद्दोजहद करता है। लेकिन न चाह खत्म होती है, न जद्दोजहद, सिर्फ इंसान खत्म हो जाता है।
मैं भी खत्म हो रहा हूं। बाकी हैं सासें अभी, बाकी हैं यादें अभी। बाकी हैं वो पल जो रह रहकर इठला रहे हैं। जमीन अपनी है, जिसपर आंख लगनी है, फिर कभी न खुलने के लिए।
-harminder singh
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जीवन और मरण............... क्षोभ................................
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मकड़ी के जाले सी जिंदगी
*अब यादों का सहारा है
* अनुभव अहम होते हैं
*बुढ़ापा भी सुन्दर होता है
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*सीखने की भी चाह होती है
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हमारे प्रेरणास्रोत | हमारे बुजुर्ग |
...ऐसे थे मुंशी जी ..शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय काम था मुंशी जी का ...अपने अंतिम दिनों में | तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? सम्मान के हकदार नेत्र सिंह रामकली जी दादी गौरजां |
>>मेरी बहन नेत्रा >>मैडम मौली | >>गर्मी की छुट्टियां >>खराब समय >>दुलारी मौसी >>लंगूर वाला >>गीता पड़ी बीमार | >>फंदे में बंदर जानवर कितना भी चालाक क्यों न हो, इंसान उसे काबू में कर ही लेता है। रघु ने स्कूल से कहीं एक रस्सी तलाश कर ली. उसने रस्सी का एक फंदा बना लिया |
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सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीराज सिद्धू ने व्यक्त किया अपना दुख बुढ़ापे का सहारा गरीबदास उन्हीं की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अपने पराये कर देते हैं और थकी हड्डियों को सहारा देने के बजाय उल्टे उनसे सहारे की उम्मीद करते हैं |
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अपने याद आते हैं राजाराम जी घर से दूर रह रहे हैं। उन्होंने कई साल पहले घर को अलविदा कह दिया है। लेकिन अपनों की दूरी अब कहीं न कहीं परेशान करती है, बिल्कुल भीतर से |
दैनिक हिन्दुस्तान और वेबदुनिया में वृद्धग्राम |
ब्लॉग वार्ता : कहीं आप बूढ़े तो नहीं हो रहे -Ravish kumar NDTV | इन काँपते हाथों को बस थाम लो! -Ravindra Vyas WEBDUNIA.com |
बुढ़ापे का अहसास...कुछ बूढ़ी बातें...जो एक दिन सब कहेंगें...लेकिन कुछ को बूढ़ा नहीं होने दिया जाएगा...
ReplyDeleteएक बढिया चित्र के साथ एक गुजरे कल का एहसास....बहुत सुन्दर प्रस्तुति।बधाई।
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