संसार को बनाने की कोशिश की जाती रही, लेकिन हर बार इंसान हार गया क्योंकि जीत उतनी आसान नहीं। मैंने खुद को प्रभावित होने से बचाने की तमाम कोशिशें की हैं। ऐसा हो नहीं सका। मैं इंसानों के बीच एक इंसान ही रहा। बदलाव को पकड़ता हुआ चल रहा हूं। यह एक जबरदस्ती सी लगती है, जैसे कुछ थोपा जा रहा हो। पल्लू पकड़ने की आदत नहीं, फिर भी चले जा रहा हूं। आदतें हमें ऐसा करने पर मजबूर करती हैं।
व्यक्ति हमेशा इतना तय करता है कि वह एक दिन मंजिल को पा लेगा जिसकी वह कामना करता है। मेरी मंजिल कोई नहीं। मैं बिना हौंसले के चलने वाला सवार हूं। मंजिल को शायद मुझे तलाशने की जरुरत न पड़े।
यह काफी निराशापूर्ण समय है। ऐसे में बहुत कुछ सोचने की फुर्सत नहीं है। अपने बारे में बस इतना मालूम हो जाए कि मेरा भविष्य मुझे मेरे अपनों से कब मिलायेगा या ऐसे ही कोरा रह जाएगा। हिम्मत को जुटाने के लिए उपाय करने की जरुरत महसूस नहीं होती। मेरे अंदर का इंसान शांत और सूना-सूना पड़ा है। उसे यह मालूम है कि सूनापन ही उसकी दुनिया है। यह मन के लगभग मर जाने के बराबर है। हां, मेरा मन कांप कर ठंडा पड़ चुका है। उसमें इतना साहस नहीं कि वह सांस ले सके, पर वह सांस लेता नहीं और मेरा साथ जैसा मैं जीता हूं, वैसा उसका हाल है। उसका इरादा और ख्वाहिशें मुझसे मिलकर चलते हैं।
सादाब मेरी तरफ बड़े गौर से देखता है। मुझे लगता है कि वह मुझ पर तरस खा रहा है या पता नहीं बात क्या है? उसका चेहरा गंभीर हो जाता है। मैं उससे नजरें मिला नहीं सकता, यह भी मैं नहीं जानता। वह एक अलग किस्म का इंसान लगा मुझे, बिल्कुल अलग।
हम उन्हें अलग मान लेते हैं जो कुछ जुदा अंदाज में होते हैं, सादाब वाकई अनोखा है। उसके चेहरे के भावों को हालांकि मैं पढ़ नहीं पाया और पढ़ भी न पाउं। वह सूने चेहरे से बहुत कुछ कह जाता है। हां, वह चुप जरुर है, लेकिन उसका चेहरा इतना अधिक कह जाता है कि मैं हैरान हो जाता हूं। वह हैरानी इस तरह की होती है कि मैं कई बार देर रात तक उसके विषय में सोचता रहा। मैंने सोचा कि वह ऐसा क्यों है? कम बोलने वाला व्यक्ति गहराई समेटे होता है। सादाब उतना बोलता नहीं क्योंकि प्रवृत्ति को बदला नहीं जा सकता और वह ऐसा चाहता भी नहीं। खुश है वह इसी तरह दुख में। यह भी पता नहीं कि कष्टों पर किस तरह की प्रसन्नता का अहसास होता है। लेकिन सादाब कहता है कि वह इतने दुखों के बाद दुखी नहीं। यह शायद झूठ भी हो, या वह मुझे दुखी नहीं देखना चाहता। मेरे दर्द को अपना समझता है। उसकी निराशा इसे लेकर भी है कि वह पशोपेश में पड़ गया है। अपनी अम्मी और बहनों से वह कई दिनों से नहीं मिला है। पहले वह दूसरे बैरक में था। वह बताता है कि वे उससे मिलने समय-समय पर आते रहते हैं।
to be contd........
-harminder singh
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