इस ओर एक बसेरा, उस ओर न जानें क्या हो,
यह मैं हूं, यह मेरा परिवार, यह मेरा घर-संसार,
अब लगता है दिन दूरी बना रहे कई-कई बार,
काली स्याह रातों जैसे दिन के उजाले हैं,
गम ही गम है तन्हाई के प्याले हैं।
-Harminder Singh
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