![[jail_diary.jpg]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhtbCUDdPw4akwINywPMUFHP_muUtohglVkZVnRdB9LBzcTGA_294C4TtcQCvx5vrQgeoqJGc0TBDPMILYCi6sxG1wcvbvhyphenhyphenD3gCBR0CqHP_831IA1KGA02XzGNtjCigDBhB05dp52pDOmd/s1600/jail_diary.jpg)
यह सच है कि जीवन एक कहानी की तरह है। कहानी की शुरुआत होती है और वह समाप्त भी हो जाती है। यही सब तो हमारे साथ होता है। वे लोग ही आपस में मिलते हैं जिनकी कहानी एक तरह की होती है। वे लोग ही मित्र होते हैं जिनके विचार एक जैसे हों। अगर मित्र दुखी है तो वह हमारे दुख को अपना मानकर हमारा साथ देगा।
जो लोग मुझे मिले, जिन्हें मैंने अपने हृदय का हाल बताया वे सब मेरी ही तरह टूटे हुए और असहाय थे। वे मुझसे कहीं अधिक कष्टकारी समय को बर्दाश्त कर रहे थे, लेकिन उनकी ताकत क्षीण नहीं हो रही थी क्योंकि वे जीवन से हारना नहीं चाहते थे। उनके लिए जीवन संघर्ष का मैदान है। ‘इंसान वही होता है जो लड़ता हुआ मरे। संघर्ष करने की क्षमता हमारे भीतर मौजूद है। तुम कर कर तो देखो।’ अब्दुल ने मुझसे कहा था। शायद कुछ लोग कहकर कर जाते हैं, कुछ केवल कहते रह जाते हैं। अब्दुल ने तबाही का दर्द झेला। उसने खुद को संभाला। यह उसका संघर्ष था क्योंकि स्वयं से लड़ना बहुत मुश्किल है।
-harminder singh
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