Tuesday, October 20, 2009
स्वयं से लड़ना बहुत मुश्किल है
यह सच है कि जीवन एक कहानी की तरह है। कहानी की शुरुआत होती है और वह समाप्त भी हो जाती है। यही सब तो हमारे साथ होता है। वे लोग ही आपस में मिलते हैं जिनकी कहानी एक तरह की होती है। वे लोग ही मित्र होते हैं जिनके विचार एक जैसे हों। अगर मित्र दुखी है तो वह हमारे दुख को अपना मानकर हमारा साथ देगा।
जो लोग मुझे मिले, जिन्हें मैंने अपने हृदय का हाल बताया वे सब मेरी ही तरह टूटे हुए और असहाय थे। वे मुझसे कहीं अधिक कष्टकारी समय को बर्दाश्त कर रहे थे, लेकिन उनकी ताकत क्षीण नहीं हो रही थी क्योंकि वे जीवन से हारना नहीं चाहते थे। उनके लिए जीवन संघर्ष का मैदान है। ‘इंसान वही होता है जो लड़ता हुआ मरे। संघर्ष करने की क्षमता हमारे भीतर मौजूद है। तुम कर कर तो देखो।’ अब्दुल ने मुझसे कहा था। शायद कुछ लोग कहकर कर जाते हैं, कुछ केवल कहते रह जाते हैं। अब्दुल ने तबाही का दर्द झेला। उसने खुद को संभाला। यह उसका संघर्ष था क्योंकि स्वयं से लड़ना बहुत मुश्किल है।
-harminder singh
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हमारे प्रेरणास्रोत | हमारे बुजुर्ग |
...ऐसे थे मुंशी जी ..शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय काम था मुंशी जी का ...अपने अंतिम दिनों में | तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? सम्मान के हकदार नेत्र सिंह रामकली जी दादी गौरजां |
>>मेरी बहन नेत्रा >>मैडम मौली | >>गर्मी की छुट्टियां >>खराब समय >>दुलारी मौसी >>लंगूर वाला >>गीता पड़ी बीमार | >>फंदे में बंदर जानवर कितना भी चालाक क्यों न हो, इंसान उसे काबू में कर ही लेता है। रघु ने स्कूल से कहीं एक रस्सी तलाश कर ली. उसने रस्सी का एक फंदा बना लिया |
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सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीराज सिद्धू ने व्यक्त किया अपना दुख बुढ़ापे का सहारा गरीबदास उन्हीं की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अपने पराये कर देते हैं और थकी हड्डियों को सहारा देने के बजाय उल्टे उनसे सहारे की उम्मीद करते हैं |
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दैनिक हिन्दुस्तान और वेबदुनिया में वृद्धग्राम |
ब्लॉग वार्ता : कहीं आप बूढ़े तो नहीं हो रहे -Ravish kumar NDTV | इन काँपते हाथों को बस थाम लो! -Ravindra Vyas WEBDUNIA.com |
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