मैं पिछले जन्म में क्या था? यह मैं नहीं जानता। शायद इसके लिए मुझे एनडीटवी इमेजिन के शो में जाना होगा जहां रवि किशन हमारे पिछले जन्म का राज खोल रहे हैं। मुझे इन बातों पर हंसी भी आती है और कई बार गंभीर भी हो जाता हूं।
सच मैं क्या मेरा कोई इससे पहला जन्म भी था? मैं क्या था? पशु, पक्षी या इंसान। मैं जब लोगों से पिछले जन्म के बारे में पूछता हूं, तो अधिकतर इस पर यकीन करते हैं। वे सहज भाव से कहते हैं,‘हां, पिछला जन्म होता है।’ वैसे बूढ़ी काकी इस बात से सहमत है, लेकिन मुझे कन्फ्यूजन है और आगे भी रहेगा। अरे, भई मैं कई किताबें इस बारे में पढ़ चुका हूं। मैं किसी भी तरह के ‘भूत’ को नहीं मानता। हां, मजाक में यह जरुर कहता हूं कि मेरे पांव उल्टे बिल्कुल नहीं।
जब कोई बच्चा अधिक चंचल होता है तो हमारे परिवार में अक्सर कहा जाता है,‘जरुर पिछले जन्म में हंगामेबाज रहा होगा।’ माता-पिता जब अपने बच्चे से अधिक परेशान हो जाते हैं तो खीज कर कहते हैं,‘जरुर पिछले जन्म के बदले लेने आया है।’
मेरा भाई बचपन में मेरे पास जब सोता था, तो वह सोते-सोते लात मारता था। तब मेरी मां कहती थी,‘’शायद पहले यह घोड़ा या गधा रहा होगा।’ हमारी हरकतों के कारण भी हमें पिछले जन्म से जोड़ा जाता है। हमारा शरीर खत्म हो जाता है, फिर आत्मा मंडराती रहती है, बिना दिमाग के। उसे कोई शरीर मिल गया उसमें घुस गयी और हम फिर से वापस आ गये, नये रुप में। ये बातें मुझे बिल्कुल वकवास लगती हैं।
मैंने पिछले जन्म की कहानी बताने वाली कई फिल्में देखी हैं। ‘ओम शांति ओम’ को कोई कैसी भूल सकता है। एक बेबस ‘फिल्मी’ मां कहती है,‘बेटा तू आ गया।’ उसके बेटे का चेहरा पहले जैसे ही था। उसका बेटा ‘ओमी’ से ‘ओम कपूर’ बन चुका था। वह ‘शांति’ की मौत का बदला लेता है, हमशक्ल ‘शांति’ के साथ मिलकर। ‘कर्ज’ पुरानी हो या नयी, उसमें भी कहानी पिछले जन्म की थी। फिर तो मुझे भी काफी घूमना चाहिए क्या पता मुझे पिछला जन्म याद आ जाए।
शायद खंडहरों में घूमा जाए या फिर गांवों में। क्योंकि हमारी फिल्मों में तो पिछले जन्म की यादों को ताजा करने का सबसे बेहतर तरीका ये ही हैं।
हम कहते हैं कि इंसान के सात जन्म ही होते हैं। इसलिए विवाह में फेरे भी सात होते हैं ताकि बंधन सात जन्मों तक बना रहे। बूढ़ी काकी ने कहा था,‘शायद पिछले जन्म के अधूरे कामों को पूरा करने के लिए हमें फिर से जन्म लेना पड़ा। इस बार जरुर आयें हैं हम इस वादे के साथ कि कोई बात अधूरी न रहे।’
जंग जारी है
मच्छरों से बचने की हमारी कोशिशें नाकाम होती जा रही हैं। मच्छर पहले से अधिक शक्तिशाली होते जा रहे हैं। उनके डंक से तिलमिलाहट पहले से ज्यादा हो रही है।
काफी साल गुजर गये, जब हम ‘कछुआ छाप’ जलाते थे और मच्छर भगाते थे। साल बीते, मच्छरों ने उसका मुकाबला किया। जीत मच्छरों की हुई, कछुआ चल बसा। कछुए की मैयत में शायद कुछ नरम दिल मच्छर शामिल हुए होंगे।
मार्केट में इंसान नये हथियार लाया जो इस पैने डंक वाले ‘पिद्दी जीव को खत्म कर सके। इंसान की लड़ाई मच्छर से जारी है। आगे भी जारी रहेगी क्योंकि हम इन्हें खत्म नहीं कर पायेंगे। हांलाकि कुछ इंसान भी मच्छरों की तरह हैं जो मौके-मौके पर हमें डंक मारते रहते हैं। इसका मतलब है कि जब इंसान खत्म होगे, मच्छर तभी विदा लेंगे। तब तक यह जंग जारी रहेगी।
-harminder singh
अप हो कर आयेंवहाँ हम भी जानना चाहते हैं कि सच क्या है। लौट कर जरूर बतायें शुभकामनायें
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