मैं गरीबों को सलाम करता हूं
मेरे संगी-साथी, रिश्तेदार,
अधिकारीगण, नेता, बिजनेसमैन,
जो बघारते हैं अपनी झूठी शान,
उनसे कम कलाम करता हूं।
मैं गरीबों को सलाम करता हूं।
आते हैं जो मेरे दर पर,
मिलते हैं अक्सर राहों पर,
कांधे पर है जिनके झोली,
उनका भी अहतराम करता हूं।
मैं गरीबों को सलाम करता हूं।
वो कृषि मजदूर,
जो होते हैं हकीकत में मजबूर,
मालिकों से पाते हैं जो तिरस्कार,
उनका सम्मान सरेआम करता हूं।
मैं गरीबों को सलाम करता हूं।
जुड़े हैं जो देश के उत्थान से,
निर्धन, बेबस, लाचार,
दलित, पीड़ित, लाचार,
उनके संग मिलके काम करता हूं।
मैं गरीबों को सलाम करता हूं।
कुछ लोग जो हैं बेघर, बेसहारा,
विधवाएं, अपमानित वृद्ध, बालक,
फिरते हैं जो ठोकरें खाते,
उनकी पीड़ा आम करता हूं।
मैं गरीबों को सलाम करता हूं।
पिटते हैं निर्दोष जो कानून से,
झेलते हैं जो निर्धनता की मार,
सहते हैं जो मौन सख्त यातना,
उनको शत~-शत~ प्रणाम करता हूं।
मैं गरीबों को सलाम करता हूं।
-furkan shah
Friday, April 9, 2010
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हमारे प्रेरणास्रोत | हमारे बुजुर्ग |
...ऐसे थे मुंशी जी ..शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय काम था मुंशी जी का ...अपने अंतिम दिनों में | तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? सम्मान के हकदार नेत्र सिंह रामकली जी दादी गौरजां |
>>मेरी बहन नेत्रा >>मैडम मौली | >>गर्मी की छुट्टियां >>खराब समय >>दुलारी मौसी >>लंगूर वाला >>गीता पड़ी बीमार | >>फंदे में बंदर जानवर कितना भी चालाक क्यों न हो, इंसान उसे काबू में कर ही लेता है। रघु ने स्कूल से कहीं एक रस्सी तलाश कर ली. उसने रस्सी का एक फंदा बना लिया |
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सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीराज सिद्धू ने व्यक्त किया अपना दुख बुढ़ापे का सहारा गरीबदास उन्हीं की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अपने पराये कर देते हैं और थकी हड्डियों को सहारा देने के बजाय उल्टे उनसे सहारे की उम्मीद करते हैं |
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अपने याद आते हैं राजाराम जी घर से दूर रह रहे हैं। उन्होंने कई साल पहले घर को अलविदा कह दिया है। लेकिन अपनों की दूरी अब कहीं न कहीं परेशान करती है, बिल्कुल भीतर से |
दैनिक हिन्दुस्तान और वेबदुनिया में वृद्धग्राम |
ब्लॉग वार्ता : कहीं आप बूढ़े तो नहीं हो रहे -Ravish kumar NDTV | इन काँपते हाथों को बस थाम लो! -Ravindra Vyas WEBDUNIA.com |
पिटते हैं निर्दोष जो कानून से,
ReplyDeleteझेलते हैं जो निर्धनता की मार,
सहते हैं जो मौन सख्त यातना,
उनको शत~-शत~ प्रणाम करता हूं।
मैं गरीबों को सलाम करता हूं।.......bahut sundar.bhavprn.
Pranaam hi karte rahenge ya sudhhaar ka koi upaay bhi bataayenge??
ReplyDeleteघर से मस्जिद है बहुत दूर।
ReplyDeleteचलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बचे को हँसाया जाए
आप की इस सोच को सलाम !
प्रणाम , नमन तो करना ही चाहिए ....
ReplyDeleteसाथ ही आनंद की टिप्पणी पर भी गौर करना चाहिए ...!!