क्षेत्र में समाज-सेवा में जुटे जिन लोगों को डी.एम. ने सम्मानित किया उनमें ग्राम छीतरा निवासी 62 वर्षीय, सेवानिवृत्त अध्यापक मा. कृपाल सिंह ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने परिवार, गांव, देश और अपने पद पर बेहद कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार, साहसी और समर्पित रहे हैं। उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर जो सम्मान मिला वे इससे भी बड़े सम्मान के हकदार हैं। यह उनके बड़प्पन की बात है कि उन्होंने हमेशा कर्तव्य को प्रधान रखा और कभी भी सम्मानित होने की इच्छा नहीं जतायी।
मुझसे अधिक उनके बारे में शायद कोई नहीं जानता। उन्होंने 1964 में बी.टी.सी. करने के बाद ग्राम छीतरा में कार्यभार ग्रहण किया। मैं उस समय तीसरी कक्षा में था। मेरा लेख कक्षा में सबसे गंदा था। इसकी जानकारी मिलते ही उन्होंने अपने हाथ से कलम बनाकर लिखना सिखाया। जो जानकारी में तीन वर्षों में नहीं कर पाया वह काम मा. साहब की कृपा से तीन दिन में हो गया। मेरा लेख कक्षा के बजाय पूरे स्कूल में सबसे बेहतर हो गया। मुझे अच्छी तरह याद है कि वे स्कूल में पूरा समय बहुत परिश्रम से पढ़ाते थे और हम सभी को निशुल्क टयूशन भी पढ़ाते थे।
उनके संचालन में हमारा स्कूल ब्लाक गजरौला का सर्वश्रेष्ठ स्कूल बन गया। केवल शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि खेलकूद में भी हम जिला स्तर पर पहुंचे। हमारे गांव में उस समय जिला परिषद का केवल प्राथमिक स्कूल ही था। पांचवी पास करने के बाद जून माह की ग्रीष्म कालीन छुट्टियों में भी उन्होंने एक दिन की छुट्टी भी नहीं की तथा हमें अंग्रेजी भाषा का ज्ञान कराने में वे जुटे रहे। हमें उसका लाभ छठी कक्षा में प्रवेश के दौरान मिला। जो चीज हम पढ़ना सीखने को कक्षा में गये हमें वह पहले याद हो चुका था। हाई स्कूल तक मैं कक्षा में सबसे अधिक अंक बटोरने वाला छात्र रहा।
बालीबाल तथा कबड्डी के वे सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे हैं। बीते एक दशक से सर्वशिक्षा अभियान में वे ब्लाक समन्वयक रहे तथा इस दौरान शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया। सामुदायिक विभाग में वे काफी समय से सहयोग दे रहे हैं। साथ ही बस्ती में एक पब्लिक स्कूल भी वे चला रहे हैं। उनके स्कूल में छात्र स्वैच्छिक वर्दी पहनते हैं। कृपाल सिंह का कहना है कि गरीब छात्र अलग से कपड़े नहीं खरीद सकते अतः वे इन पैसों को पुस्तकें आदि खरीद सकते हैं। उनका दावा है कि वर्दी से शिक्षा पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता। हां जो भी वस्त्र पहने जायें वे साफ होने जरुरी हैं।
मा. कृपाल सिंह बहु आयामी व्यक्तित्व हैं। ऐसे लोग शिक्षा के क्षेत्र में आ जायें तो हमारा तथा हमारे देश के भावी कर्णधारों का भविष्य उज्जवल रहेगा।
गुरमुख सिंह द्वारा
Wednesday, May 14, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
|
हमारे प्रेरणास्रोत | हमारे बुजुर्ग |
...ऐसे थे मुंशी जी ..शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय काम था मुंशी जी का ...अपने अंतिम दिनों में | तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? सम्मान के हकदार नेत्र सिंह रामकली जी दादी गौरजां |
>>मेरी बहन नेत्रा >>मैडम मौली | >>गर्मी की छुट्टियां >>खराब समय >>दुलारी मौसी >>लंगूर वाला >>गीता पड़ी बीमार | >>फंदे में बंदर जानवर कितना भी चालाक क्यों न हो, इंसान उसे काबू में कर ही लेता है। रघु ने स्कूल से कहीं एक रस्सी तलाश कर ली. उसने रस्सी का एक फंदा बना लिया |
|
|
सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीराज सिद्धू ने व्यक्त किया अपना दुख बुढ़ापे का सहारा गरीबदास उन्हीं की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अपने पराये कर देते हैं और थकी हड्डियों को सहारा देने के बजाय उल्टे उनसे सहारे की उम्मीद करते हैं |
|
|
|
अपने याद आते हैं राजाराम जी घर से दूर रह रहे हैं। उन्होंने कई साल पहले घर को अलविदा कह दिया है। लेकिन अपनों की दूरी अब कहीं न कहीं परेशान करती है, बिल्कुल भीतर से |
दैनिक हिन्दुस्तान और वेबदुनिया में वृद्धग्राम |
ब्लॉग वार्ता : कहीं आप बूढ़े तो नहीं हो रहे -Ravish kumar NDTV | इन काँपते हाथों को बस थाम लो! -Ravindra Vyas WEBDUNIA.com |
No comments:
Post a Comment