
मैं मुस्कराना भूल गया,
पता नहीं क्यों?
तुम मुझसे दूर हो,
पता नहीं क्यों?
मैं इतराना भूल गया,
पता नहीं क्यों?
हंसी आकर क्या करेगी,
हसंना भी भूल गया,
पता नहीं क्यों?
मीलों चला य़ूं अकेला,
साथ तुम्हारा भूल गया,
पता नहीं क्यों?
लाठी खड़ी है कोने में,
पता नहीं क्यों?
शरीर कह रहा अब बस,
पता नहीं क्यों?
सदियां इतनी बीत गयीं,
पता नहीं क्यों?
विदा लेने जा रहा,
पता नहीं क्यों?
-harminder singh
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