एक आह चीरती है मन को, प्रतिछेदित करती है तन को,
तब जन्म गीत का होता है,
अवसाद के तह तक जाने से, बोझा दुख का बढ़ जाने से,
तब जन्म गीत का होता है,
झरने सा अविरल झरता है, नदिया सा प्रतिपल बहता है,
तब जन्म गीत का होता है,
सैलाब सा बनकर आता है, बनकर ज्वाला फट जाता है,
टैब जन्म गीत का होता है,
एक चिंगारी सी उठती है, बनकर अग्नि जल जाता है,
तब जन्म गीत का होता है,
जब मन ये हिलोरें लेता है, अनजाने स्वप्न संजोता है,
तब जन्म गीत का होता है,
मनमोहक दृश्य होता है, उस भोर खिंचा मन जाता है,
तब जन्म गीत का होता है।
-Rekha Singh
Friday, June 26, 2009
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हमारे प्रेरणास्रोत | हमारे बुजुर्ग |
...ऐसे थे मुंशी जी ..शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय काम था मुंशी जी का ...अपने अंतिम दिनों में | तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? सम्मान के हकदार नेत्र सिंह रामकली जी दादी गौरजां |
>>मेरी बहन नेत्रा >>मैडम मौली | >>गर्मी की छुट्टियां >>खराब समय >>दुलारी मौसी >>लंगूर वाला >>गीता पड़ी बीमार | >>फंदे में बंदर जानवर कितना भी चालाक क्यों न हो, इंसान उसे काबू में कर ही लेता है। रघु ने स्कूल से कहीं एक रस्सी तलाश कर ली. उसने रस्सी का एक फंदा बना लिया |
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सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीराज सिद्धू ने व्यक्त किया अपना दुख बुढ़ापे का सहारा गरीबदास उन्हीं की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अपने पराये कर देते हैं और थकी हड्डियों को सहारा देने के बजाय उल्टे उनसे सहारे की उम्मीद करते हैं |
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अपने याद आते हैं राजाराम जी घर से दूर रह रहे हैं। उन्होंने कई साल पहले घर को अलविदा कह दिया है। लेकिन अपनों की दूरी अब कहीं न कहीं परेशान करती है, बिल्कुल भीतर से |
दैनिक हिन्दुस्तान और वेबदुनिया में वृद्धग्राम |
ब्लॉग वार्ता : कहीं आप बूढ़े तो नहीं हो रहे -Ravish kumar NDTV | इन काँपते हाथों को बस थाम लो! -Ravindra Vyas WEBDUNIA.com |
सुंदर अभिव्यक्ति .. सच है गीत का जन्म यूं ही नहीं होता।
ReplyDeleteएक आह चीरती है मन को, प्रतिछेदित करती है तन को,
ReplyDeleteतब जन्म गीत का होता है,
bahut hi sahi hai .........yah bilkul sahi hai ki kisi vi geet ka janm drd se hota hai...........behatarin
गीत मन की पीड़ा से उपजा होता है।
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