पाकिस्तान के लिए यह खुशखबरी का समय है। पड़ौसी मुल्क ले अपने देश के लोगों को सही समय पर खुशखबरी दी है। पाकिस्तान को इसकी जरुरत थी। क्रिकेट के मायने पाकिस्तान में भारत की तरह हैं। यहां की गलियों में इस खेल का शोर रहता है, तो वहां भी क्रिकेट का जुनून थमता नहीं। ट्वेंटी20 विश्व विजेता टीम पाकिस्तान को उसके देश में सर आंखों पर बिठाया गया। सड़कों पर जश्न का माहौल था, धूम-धड़ाके थे और झूमते-नाचते लोग। ऐसी मस्ती कभी भारत में भी देखी गयी थी। तब मुंबई की सड़कें तिरंगे रंग में रंगी थीं।
भारत से पिछले ट्वेंटी20 विश्व कप में मिली शिकस्त ने पाकिस्तानियों का दिल तोड़ दिया था। इसके अलावा वहां का माहौल क्रिकेट के लिए बिगड़ता जा रहा था क्योंकि पाकिस्तान में हवाओं का रुख हमेशा खतरनाक रहा है। खौफ की आंधियां कब चल पड़ें, खून के छींटे कब गिर जाएं, कोई नहीं जानता। सियासी हलचलों ने पाकिस्तान को अजीब तरह का मुल्क बना दिया है। आतंकवाद और आतंकवादियों से जूझता मुल्क जहां की सड़कें कब छींटो से लाल हो जाएं, यह भी कोई जानता नहीं। कब लाशें बिखर जाएं और मंजर खौफनाक हो जाए, नहीं मालूम।
मोइन खान ने कहा,‘यह जीत ऐसे समय मिली जब देश को किसी अच्छी खबर की जरुरत थी।’ असल में पाकिस्तान बहुत अर्से से अच्छी खबर सुनने को तरस गया था। 1992 में जब इमरान खान की अगुवाई में पाकिस्तान ने विश्व कप जीता, तब देश में जश्न का माहौल था।
-harminder singh
Wednesday, June 24, 2009
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हमारे प्रेरणास्रोत | हमारे बुजुर्ग |
...ऐसे थे मुंशी जी ..शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय काम था मुंशी जी का ...अपने अंतिम दिनों में | तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? सम्मान के हकदार नेत्र सिंह रामकली जी दादी गौरजां |
>>मेरी बहन नेत्रा >>मैडम मौली | >>गर्मी की छुट्टियां >>खराब समय >>दुलारी मौसी >>लंगूर वाला >>गीता पड़ी बीमार | >>फंदे में बंदर जानवर कितना भी चालाक क्यों न हो, इंसान उसे काबू में कर ही लेता है। रघु ने स्कूल से कहीं एक रस्सी तलाश कर ली. उसने रस्सी का एक फंदा बना लिया |
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सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीराज सिद्धू ने व्यक्त किया अपना दुख बुढ़ापे का सहारा गरीबदास उन्हीं की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अपने पराये कर देते हैं और थकी हड्डियों को सहारा देने के बजाय उल्टे उनसे सहारे की उम्मीद करते हैं |
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अपने याद आते हैं राजाराम जी घर से दूर रह रहे हैं। उन्होंने कई साल पहले घर को अलविदा कह दिया है। लेकिन अपनों की दूरी अब कहीं न कहीं परेशान करती है, बिल्कुल भीतर से |
दैनिक हिन्दुस्तान और वेबदुनिया में वृद्धग्राम |
ब्लॉग वार्ता : कहीं आप बूढ़े तो नहीं हो रहे -Ravish kumar NDTV | इन काँपते हाथों को बस थाम लो! -Ravindra Vyas WEBDUNIA.com |
जो भी हो..पाकिस्तान टीम बधाई की हकदार है.
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