काफी बूढ़ा हो चुका हूं। कहते हैं,‘कमजोरी बुढ़ापे की निशानी है।’ मैं लगातार चल नहीं सकता। थोड़ी दूरी पर किसी सहारे की जरुरत पड़ती है। बुढ़ापे को सहारा चाहिए। टांगे जबाव दे चुकीं, डर है कहीं लड़खड़ा कर गिर न जाऊं। तब बुढ़ापा और दुश्वार हो सकता है।
मुझे पता है मैं गली के बच्चों को देखकर थोड़ा मुस्कराता हूं। उनकी अठखेलियां मुझे ऊर्जा से भर देती हैं। एक पल को मैं खुद को भूल जाता हूं। मैं उनमें खो जाता हूं।
लोग मुझे मिलते हैं, उलझी हुई बातें होती हैं, पर ढेर सारी। कुछ समय आती हैं, कुछ उनके नहीं। फिर भी मन खामोश रहता है। ‘बूढ़ा ऊंचा सुनता है’- कहीं से आवाज आती है। मुझे बुरा नहीं लगता क्योंकि बुढ़ापा बेपरवाह है, लापरवाह नहीं।
चाय की दुकान पर सबुह अखबार पढ़ लेता हूं। तब चाय की चुस्की और.........., एक बिस्कुट भिगो कर खा लेता हूं। बीच-बीच में अपने कुरते से चश्मे को साफ करता रहता हूं। मोटी छपाई को आसानी से पढ़ लेता हूं। बारीक लिखे अक्षरों को पढ़ने के लिए अखबार को करीब लाना पड़ता है। थोड़े समय में शब्द धुंधले पड़ जाते हैं।
-harminder singh
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हमारे प्रेरणास्रोत | हमारे बुजुर्ग |
...ऐसे थे मुंशी जी ..शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय काम था मुंशी जी का ...अपने अंतिम दिनों में | तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? सम्मान के हकदार नेत्र सिंह रामकली जी दादी गौरजां |
>>मेरी बहन नेत्रा >>मैडम मौली | >>गर्मी की छुट्टियां >>खराब समय >>दुलारी मौसी >>लंगूर वाला >>गीता पड़ी बीमार | >>फंदे में बंदर जानवर कितना भी चालाक क्यों न हो, इंसान उसे काबू में कर ही लेता है। रघु ने स्कूल से कहीं एक रस्सी तलाश कर ली. उसने रस्सी का एक फंदा बना लिया |
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सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीराज सिद्धू ने व्यक्त किया अपना दुख बुढ़ापे का सहारा गरीबदास उन्हीं की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अपने पराये कर देते हैं और थकी हड्डियों को सहारा देने के बजाय उल्टे उनसे सहारे की उम्मीद करते हैं |
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अपने याद आते हैं राजाराम जी घर से दूर रह रहे हैं। उन्होंने कई साल पहले घर को अलविदा कह दिया है। लेकिन अपनों की दूरी अब कहीं न कहीं परेशान करती है, बिल्कुल भीतर से |
दैनिक हिन्दुस्तान और वेबदुनिया में वृद्धग्राम |
ब्लॉग वार्ता : कहीं आप बूढ़े तो नहीं हो रहे -Ravish kumar NDTV | इन काँपते हाथों को बस थाम लो! -Ravindra Vyas WEBDUNIA.com |
एक दिन सोच रहा था कि यह सारे ब्लॉगर एक दिन बूढ़े हो जायेंगे तब कैसा लिखेंगे कि आज यह ब्लोग नज़र आया । मै आपकी सोच और इस प्रयास को सलाम करता हूँ ।
ReplyDeleteमुझे लगता है कि जब सारे ब्लोगर बूढ़े हो जायेंगे तो सभी बुढ़ापे पर लिखने की कोशिश करेंगे।
ReplyDeleteधन्यवाद।
"मुझे बुरा नहीं लगता क्योंकि बुढ़ापा बेपरवाह है".....इक इतमीनान सा है… तजुर्बे……तजुर्बे
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