मैंने बांध ली है,
पर टूटकर कुछ गिरा,
उम्मीद का एक टुकड़ा,
नेत्र सजल हुए,
धारा अविरल बही,
जल-कण संचित करुं,
उम्मीद ही न रही।
-harminder singh
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*अब यादों का सहारा है
* अनुभव अहम होते हैं
*बुढ़ापा भी सुन्दर होता है
*उन्मुक्त होने की चाह
*बंधन मुक्ति मांगते हैं
*गलतियां सबक याद दिलाती हैं
*सीखने की भी चाह होती है
*रसहीनता का आभास
*जीवन का निष्कर्ष नहीं
एहसासो से सज्जी लडियाँ..............बढिया
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