Sunday, July 5, 2009
अब बेवदुनिया ने सराहा वृद्धग्राम
रवीश कुमार ने दैनिक हिन्दुस्तान में वृद्धग्राम ब्लॉग को सराहा था। अब बेवदुनिया.काम के साप्ताहिक कोलम में ravinder vyas ने वृद्धग्राम के बारे में लिखा है। लेख का शीर्षक है-‘इन काँपते हाथों को बस थाम लो!’। वृद्धग्राम उन सबका आभारी है जिन्होंने इसे इतना सराहा और यहां आकर कुछ देर बुढ़ापे को करीब से जानने की कोशिश की। एक बार फिर सभी का आभार।
बेवदुनिया पर लेख पढ़ने के लिए नीचे दिये लिंक पर क्लिक करें:
http://hindi.webdunia.com/samayik/article/article/0907/02/1090702092_1.htm
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हमारे प्रेरणास्रोत | हमारे बुजुर्ग |
...ऐसे थे मुंशी जी ..शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय काम था मुंशी जी का ...अपने अंतिम दिनों में | तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? सम्मान के हकदार नेत्र सिंह रामकली जी दादी गौरजां |
>>मेरी बहन नेत्रा >>मैडम मौली | >>गर्मी की छुट्टियां >>खराब समय >>दुलारी मौसी >>लंगूर वाला >>गीता पड़ी बीमार | >>फंदे में बंदर जानवर कितना भी चालाक क्यों न हो, इंसान उसे काबू में कर ही लेता है। रघु ने स्कूल से कहीं एक रस्सी तलाश कर ली. उसने रस्सी का एक फंदा बना लिया |
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सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीराज सिद्धू ने व्यक्त किया अपना दुख बुढ़ापे का सहारा गरीबदास उन्हीं की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अपने पराये कर देते हैं और थकी हड्डियों को सहारा देने के बजाय उल्टे उनसे सहारे की उम्मीद करते हैं |
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अपने याद आते हैं राजाराम जी घर से दूर रह रहे हैं। उन्होंने कई साल पहले घर को अलविदा कह दिया है। लेकिन अपनों की दूरी अब कहीं न कहीं परेशान करती है, बिल्कुल भीतर से |
दैनिक हिन्दुस्तान और वेबदुनिया में वृद्धग्राम |
ब्लॉग वार्ता : कहीं आप बूढ़े तो नहीं हो रहे -Ravish kumar NDTV | इन काँपते हाथों को बस थाम लो! -Ravindra Vyas WEBDUNIA.com |
बधाई हो .. इस ब्लाग का प्रचार प्रसार आवश्यक है .. इस ब्लाग के माध्यम से लोगों को बृद्धों की समस्याओं को जानने में अवश्य मदद मिलेगी!!
ReplyDeleteaapke pryatnon ko isi terah hauslaafzahi milti rahe to is blog ke madhyam se logon mein is jagrukta badhegi aur vriddhon ke prati humare vyavahar aur soch mein badlaav aayega.
ReplyDeleteबधाई हो यह एक ज़रूरी ब्लोग है ।
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