
जिंदगी जीने का मुकाम सिखा रही है। यह हंस रही है और मुस्करा रही है। आने वालों को आना है तो आओ, बाकियों को छोड़ती जा रही है। नये जीवन के नये रुप का स्वागत जोर शोर से हो रहा है। उड़ते पंछियों की तरह मदमस्त है जिंदगी लेकिन कहीं उदास भी है।
कोई बात ऐसी नहीं जो न कहे सके जिंदगी। जीने के कई तरीके हैं। कोई कैसा जीता है, तो कोई ऐसे। खुशी और दुख के कारणों को सीखने के लिये पैदा होना जरुरी है। पैदाईश है तो मौत से बचके निकलना नामुमकिन। काफी जोड़ हैं जिन्हें समझना आसान नहीं। रचियता की रचना बेजोड़ है।
कई रंगों से भिगोकर रचनाकार ने तय किया कि क्यों न कोई बेशकीमती चीज बनाई जाये। उसने जीवों का संचार किया। तब से आज तक जीवों का एक बहुत बड़ा संसार है। हम रुकते हुये अच्छे नहीं लगते क्योंकि गति जीवन देती है। किसी के लिये यूं ही शांत रहना आसान नहीं। इसका मतलब कोई रुका हुआ नहीं। नींद में होते हैं तो सपने गतिमान हैं। उनकी गति और पहुंच यहां तक नहीं। न जाने कितनी दूर तक जाते हैं सपने और हमें ले जाते हैं। कल्पनाओं को साकार करने का बेहतर और सुलभ तरीका हैं सपने। दिन में सपने देखने का मन करे तो देखो लेकिन साकार होते हुये सपने अच्छे लगते हैं।
जिंदगी चलती फिरती किताब है जिसके पन्ने कोरे हैं। जितना जिये उतने पन्ने भरे गये बाकि कोरे हैं। इस किताब को कभी भरा नहीं जा सका। इसके कुछ पन्ने जीवन के रंगों से रंगे हैं तो कुछ बेरंग हैं। रुकी थमी यादों के कई पाठ सलीखे से लगे हैं। लिखावट पर किसी का ध्यान नहीं जाता। इतना कुछ पढ़ने को हैं कि पढ़ने में कई जीवन कम पड़ जायें। वाह! क्या कमाल है जिंदगी।
हंसती हुई अच्छी लगती है जिंदगी। रोना उसे संभालने के लिये साथ रहता है। दोनों में प्रेम है और यह रिश्ता अटूट है। कभी न टूटने वाला तथा इतराता हुआ रिश्ता। बचपन से लेकर आजतक तो इन्होंने संभाला हैं हमें। दुखी तो रोये, खुशी इतनी हुई तो रोये। खुशी के आंसू आये। हो गया न हंसना-रोना एक साथ।
उन पलों का शुक्रिया जो कुछ सिखा गये। जीवन तो जैसे-तैसे चल रहा है मगर तेजी के लिये किसी का सहारा चाहिये। खुद को मैंने तलाश किया। आप शायद हैरान हों लेकिन हम ही तो हैं जो खुद को चलाते हैं तेज भी, धीमे भी।
उम्मीदों की टोकरी को सिर पर अभी भी उठाये हैं। शायद इसी ख्याल में कि इक दिन यह टोकरी फूलों की बरसात करेगी। बरसात का इंतजार है और एक ओर उम्मीद की टोकरी आकर टिक गयी है। न जाने कितनी टोकरियों का वजन है, पता नहीं चलता। भला उम्मीदों का भी कोई वजन होता है। वे तो हल्की-फुल्की हैं, शांत हैं, चुप रहती हैं पर पूरी होने पर बहुत चहकती हैं।
जीवन के पहलू कई हैं जिनकी शुरुआत कीजिये तो खत्म होने का नाम नहीं लेंगे। वैसे अनंत का कोई छोर नहीं होता। जीवन को अंत होते हुये भी इसका अंत नहीं। जिंदगी रुकती नहीं, चलती है, न खत्म होती है। यह एक ऐसा ख्याल है जो निरंतर है।
समझ से परे है जीवन, समझना बस से बाहर है। मैं तो यहीं ठहर गया, वह नहीं ठहरा। रहस्य वह जो न समझा जा सके। इसलिये जीवन एक रहस्य है जिसकी शुरुआत तो है लेकिन अंत का पता नहीं। कल्पना से भी परे है और बहुत सी बातों को संजोये है जीवन।
-harminder singh


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yahi hai jindgi.....badhshahooo
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