Tuesday, October 13, 2009
मुरझाये चेहरों का सूखा हिस्सा
केवल मुरझाये चेहरों का सूखा हिस्सा बनने में ही फिलहाल बेहतर मालूम होता है। इसके अलावा इस घुटन में कुछ खास नहीं। कल की बातों को सोचना बेवकूफी लगती है। उनका समय बीत चुका। पुरानी कोई भी चीज हो, वह नयी कभी दिख नहीं सकती। वह हंस नहीं सकती, मुस्करा नहीं सकती, गुनगुना नहीं सकती। हां, अपने साथ घटने वाला तमाशा चुपचाप देख जरुर सकती है।
दूसरों को आपका दर्द मालूम नहीं होता। वे केवल उपहास करते हैं। मुझे चिढ़ाया जाता है। ऐसा कई बार हुआ है। कई कैदियों ने शाम के भोजन के समय मुझसे खींचातानी भी की। मैंने कुछ नहीं कहा। खामोशी कई बार हमें रोकती है। मैं किसी से कुछ कहना नहीं चाहता। मैं उन लोगों से अलग रहता हूं। वैसे मैं अच्छी तरह जानता हूं कि कुछ लोग दूसरों को दुखी करकर सुकून महसूस करते हैं। यह उनका आनंद है।
-harminder singh
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हमारे प्रेरणास्रोत | हमारे बुजुर्ग |
...ऐसे थे मुंशी जी ..शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय काम था मुंशी जी का ...अपने अंतिम दिनों में | तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? सम्मान के हकदार नेत्र सिंह रामकली जी दादी गौरजां |
>>मेरी बहन नेत्रा >>मैडम मौली | >>गर्मी की छुट्टियां >>खराब समय >>दुलारी मौसी >>लंगूर वाला >>गीता पड़ी बीमार | >>फंदे में बंदर जानवर कितना भी चालाक क्यों न हो, इंसान उसे काबू में कर ही लेता है। रघु ने स्कूल से कहीं एक रस्सी तलाश कर ली. उसने रस्सी का एक फंदा बना लिया |
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सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीराज सिद्धू ने व्यक्त किया अपना दुख बुढ़ापे का सहारा गरीबदास उन्हीं की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अपने पराये कर देते हैं और थकी हड्डियों को सहारा देने के बजाय उल्टे उनसे सहारे की उम्मीद करते हैं |
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अपने याद आते हैं राजाराम जी घर से दूर रह रहे हैं। उन्होंने कई साल पहले घर को अलविदा कह दिया है। लेकिन अपनों की दूरी अब कहीं न कहीं परेशान करती है, बिल्कुल भीतर से |
दैनिक हिन्दुस्तान और वेबदुनिया में वृद्धग्राम |
ब्लॉग वार्ता : कहीं आप बूढ़े तो नहीं हो रहे -Ravish kumar NDTV | इन काँपते हाथों को बस थाम लो! -Ravindra Vyas WEBDUNIA.com |
दिल को छूने वाली बात कही है आपने...
ReplyDeletebahut hi dil ko choo gaya............kya kahein.
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