Sunday, October 4, 2009
जिंदगी मीठी है
‘‘मुझे उजाले की तलाश है। मन में एक आस है। अंधेरे में रहते-रहते खुद को भूल गयाी। मुझे जगना है उस सवेरे के लिए जो मुझसे कोसों दूर है। मुझे एहसास है कि मैं इतना थक गयी हूं कि आगे बढ़ नहीं सकती। मेरी पहचान गुम होती जा रही है। मैं हारती जा रही हूं। बुढ़ापा है, तन्हाई है। लेकिन मैं खुद को पीछे नहीं हटने दूंगी क्योंकि जिंदगी मीठी थी, मीठी है और अंतिम सांस तक रहेगी। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले की मिठास और अबकी मिठास में जमीन आसमान की दूरी है। यह दूरी कभी तय नहीं की जा सकती। वक्त पकड़ा नहीं जा सकता, क्योंकि जिंदगी उसका मुकाबला करने के लिए नाकाफी है।’’ बूढ़ी काकी ने मुझसे कहा।
मेरी आंखें बंद हो गयीं। मैं स्वप्नलोक में काकी की कही बातों के अर्थ खोजने निकल पड़ा। इसी खोज के साथ कि बुढ़ापे में भी ‘जिंदगी इतनी मीठी क्यों?’
बूढ़ी काकी से इसे किसी दिन विस्तार से जानूंगा।
-harminder singh
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हमारे प्रेरणास्रोत | हमारे बुजुर्ग |
...ऐसे थे मुंशी जी ..शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय काम था मुंशी जी का ...अपने अंतिम दिनों में | तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? सम्मान के हकदार नेत्र सिंह रामकली जी दादी गौरजां |
>>मेरी बहन नेत्रा >>मैडम मौली | >>गर्मी की छुट्टियां >>खराब समय >>दुलारी मौसी >>लंगूर वाला >>गीता पड़ी बीमार | >>फंदे में बंदर जानवर कितना भी चालाक क्यों न हो, इंसान उसे काबू में कर ही लेता है। रघु ने स्कूल से कहीं एक रस्सी तलाश कर ली. उसने रस्सी का एक फंदा बना लिया |
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सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीराज सिद्धू ने व्यक्त किया अपना दुख बुढ़ापे का सहारा गरीबदास उन्हीं की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अपने पराये कर देते हैं और थकी हड्डियों को सहारा देने के बजाय उल्टे उनसे सहारे की उम्मीद करते हैं |
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अपने याद आते हैं राजाराम जी घर से दूर रह रहे हैं। उन्होंने कई साल पहले घर को अलविदा कह दिया है। लेकिन अपनों की दूरी अब कहीं न कहीं परेशान करती है, बिल्कुल भीतर से |
दैनिक हिन्दुस्तान और वेबदुनिया में वृद्धग्राम |
ब्लॉग वार्ता : कहीं आप बूढ़े तो नहीं हो रहे -Ravish kumar NDTV | इन काँपते हाथों को बस थाम लो! -Ravindra Vyas WEBDUNIA.com |
जब पता लगा लो तो हमें जरूर बताना
ReplyDeletehttp://dunalee.blogspot.com/
kaki says true things.
ReplyDeletei like your other blogs too, especially artgram, where you post portraits.
bani kaushik.
waqt kabhi pakda nahi ja skata hai bahut sach ..intjaar rahega
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