‘कुछ लोग कितने अहम होते हैं। हमारे लिए उनका बहुत महत्व होता है। शायद हम उनकी वजह से खुद को कई मायनों में बदल देते हैं।’ बूढ़ी काकी ने कहा।
‘वक्त आने पर हमें आभास होता है कि हम क्या हासिल कर चुके। हमें उनका शुक्रिया करना चाहिए जिनसे हमारा जीवन प्रभावित होता है। बहुत कुछ पा लेते हैं इंसान इंसानों से। कई बार ऐसे लोगों से सामना हो जाता है जो पूरे जीवन को बदल देते हैं। ये वे होते हैं जिनपर भरोसा हम हद से ज्यादा कर लेते हैं। हम इंसानों में यह खासियत होती है कि जहां हमें किनारा दिखाई पड़ता है, हम उस ओर रुख कर देते हैं। जिनकी जिंदगी में दुख अधिक होता है, उन्हें सुख की तलाश रहती है। वे प्यार की मामूली छींट से खुद को पूरी तरह भिगो देते हैं।’ इतना कहकर काकी चुप हो गयी।
काकी ने मेरे बालों को सहलाया। उसके हाथ जर्जर जरुर हैं, लेकिन उसका स्पर्श पाकर अलग एहसास होता है। वृद्धों के हाथों में गर्माहट होती है जो हमें यह बताती है कि हमारा जीवन उनसे जुड़कर चलता है। उनकी नजदीकी को यदि हम समझें तो वास्तविकता का ज्ञान हो जाता है। जुड़ाव कभी कम नहीं होता। समय बीत जाता है, लगाव बढ़ता जाता है।
मैंने कुछ गंभीर होकर काकी से कहा,‘मैं उन लोगों को समझ नहीं पाता जो मुझसे लगाव रखते हैं। मुझे लगता है कि मैं उलझ गया हूं। मुझे अपनापन महसूस होता है। उनकी कमी खलती है जब वे हमें छोड़ कर चले जाते हैं।’
काकी थोड़ा मुस्कराई और बोली,‘हां, गम तो होता है दूसरों से बिछुड़ने का। हम भी कई मौकों पर नादान हो जाते हैं, और अंजाने में लगाव कर बैठते हैं। फिर मायूसी हमें घेरती है, हमारा पीछा करती है। हम उससे बचने की तमाम कोशिशें करते हैं। आखिरकार समय ही होता है जो मरहम का काम करता है।’
‘मुझे इतना पता है कि मैं खुद को खास समझती हूं। मेरे लिए वे भी खास हैं जो मुझे समझते हैं। तुम्हें नहीं लगता कि हमारी बहुत-सी चीजें उनसे जुड़ जाती हैं। एक की खासियत दूसरे को प्रभावित करती है।’
‘हम कई बार दूसरों से ज्यादा उम्मीद कर बैठते हैं। इसका कारण हमारा विश्वास होता है। और विश्वास उनपर किया जाता है जिन्हें हम उस लायक समझते हैं। कई बार ऐसा होता है कि हम विश्वास करना छोड़ देते हैं क्योंकि हम धोखा खा चुके होते हैं। धोखा उस तल में इंसान को छोड़ देता है जहां अक्सर छटपटाहट के पल उसे घेर लेते हैं। भरोसा करो, मगर ध्यान से।’
जीवन की परतों को काकी बड़ी चतुराई से हटाती है। ‘उसे इसमें महारथ हासिल है’- यह कहना अतिश्योक्ति नहीं। अनुभव इंसान को असली जीवन-दर्शन कराता है। मैं कितना छोटा, काकी कितनी बुजुर्ग। उम्र का फासला कितना ही क्यों न हो, बात विचारों के मेल से बनती है।
-harminder singh
Sunday, September 20, 2009
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हमारे प्रेरणास्रोत | हमारे बुजुर्ग |
...ऐसे थे मुंशी जी ..शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय काम था मुंशी जी का ...अपने अंतिम दिनों में | तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? सम्मान के हकदार नेत्र सिंह रामकली जी दादी गौरजां |
>>मेरी बहन नेत्रा >>मैडम मौली | >>गर्मी की छुट्टियां >>खराब समय >>दुलारी मौसी >>लंगूर वाला >>गीता पड़ी बीमार | >>फंदे में बंदर जानवर कितना भी चालाक क्यों न हो, इंसान उसे काबू में कर ही लेता है। रघु ने स्कूल से कहीं एक रस्सी तलाश कर ली. उसने रस्सी का एक फंदा बना लिया |
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सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीराज सिद्धू ने व्यक्त किया अपना दुख बुढ़ापे का सहारा गरीबदास उन्हीं की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अपने पराये कर देते हैं और थकी हड्डियों को सहारा देने के बजाय उल्टे उनसे सहारे की उम्मीद करते हैं |
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अपने याद आते हैं राजाराम जी घर से दूर रह रहे हैं। उन्होंने कई साल पहले घर को अलविदा कह दिया है। लेकिन अपनों की दूरी अब कहीं न कहीं परेशान करती है, बिल्कुल भीतर से |
दैनिक हिन्दुस्तान और वेबदुनिया में वृद्धग्राम |
ब्लॉग वार्ता : कहीं आप बूढ़े तो नहीं हो रहे -Ravish kumar NDTV | इन काँपते हाथों को बस थाम लो! -Ravindra Vyas WEBDUNIA.com |
जीवन की परतों को काकी बड़ी चतुराई से हटाती है। ‘उसे इसमें महारथ हासिल है’- यह कहना अतिश्योक्ति नहीं। अनुभव इंसान को असली जीवन-दर्शन कराता है।
ReplyDeleteसही है !!