हम खोकर भी बहुत कुछ पा लेते हैं और कभी-कभी बैठे-बिठाये लुट जाते हैं। अपनी तकदीर खुद लिखने की कोशिश करते हैं। अनजाने में अनचाही राहों पर निकल पड़ते हैं। किस लिये, आखिर किस लिये करते हैं हम यह सब। हमारे अनुभव हमें बताते हैं कि हम क्या भूल गये, क्या तैयारी बाकी रह गयी
जीवन दर्शन मुझे बूढ़ी काकी करा रही थी। उसकी बातों में मैं खो सा गया था। बुजुर्गों के साथ वक्त बिताने का समय मुझे अधिक मिला नहीं, लेकिन कुछ वक्त में काफी सीख प्राप्त की। अपने विचारों को सुदृढ़ बनाने के लिये और अनुभव पाने के लिये यह किसी तरह भी कमतर नहीं था।
अनुभव जीवन में अहम होते हैं। सीखना हमारी प्रवृत्ति है और नये-नये पड़ावों से नये-नये अनुभव होते हैं। काकी का अनुभव उतना ही पुराना है जितना कि उसका इस जीवन से रिश्ता।
काकी शायद मन की बात भी भांप लेती है, बोली,‘जीवन को पुराने-नये से कोई मतलब नहीं। वह बस अंतिम सांस तक ठहरना जानता है, फिर किसे पता क्या है? जीवन जीकर ही अनुभव पाया जाता है। ऊंचे-नीचे रास्ते यूं ही नहीं बने होते। इनपर चलकर सच्चाई से सामना होता है और यह सच जीवन का सच है।’
‘हम खोकर भी बहुत कुछ पा लेते हैं और कभी-कभी बैठे-बिठाये लुट जाते हैं। अपनी तकदीर खुद लिखने की कोशिश करते हैं। अनजाने में अनचाही राहों पर निकल पड़ते हैं। किस लिये, आखिर किस लिये करते हैं हम यह सब। हमारे अनुभव हमें बताते हैं कि हम क्या भूल गये, क्या तैयारी बाकी रह गयी। अगर उन घाटियों से न कभी गुजरना हुआ तो हम उनसे कुछ नहीं सीख पाते। आसानी से हर काम करने लगते तो सरल भी कठिन लगता।’
‘धूप चिलचिलाती है, ठंड ठिठुरन भरी है, फिर भी जिंदगी हंसती-खेलती चलती है। यह सब इसलिये ताकि जिंदगी जीने वाले के लिये बोझ न लगे। अपनी रफ्तार में चलने का अपना आनंद है, लेकिन कईयों को लगता है कि कहीं उन्हें ठोकर न लग जाये। कभी-कभी नहीं कई बार ऐसा होता है कि अनजाने रास्तों पर निकलने की जिद कर बैठते हैं। मुझे यह सुकून नहीं पहुंचाता। हर किसी की चाह होती है, मगर जिद नुक्सान भी करती है।’
मैं हमेशा उनसे कहानी सुनता आया था। शायद काकी यह समझती है कि मैं जीवन के पहलुओं को उनसे समझूं। एक वृद्धा का अनुभव किसी को कुछ सिखा जाये तो इसमें क्या बुराई है?
बुरी लगती हैं वे बातें जब कोई आपसे कहता है कि बूढ़ों से बचके रहो। उनकी बातों से हमारा मेल कैसा? उनका जमाना पुराना था, अनुभव पुराने होंगे, वे नये जमाने को क्या जानें? बगैरह, बगैरह।
ऐसे लोग अक्सर भूल कर बैठते हैं। बुढ़ापा अनुभव लिये होता है। जीवन की सच्चाई से रुबरु हुआ होता है। पूरी उम्र का सार होता है बुढ़ापा। अनगिनत उतार-चढ़ावों को देख चुका होता है बुढ़ापा। परिवर्तनों का अहसास, हवा का रुख, दुख और सुख, सब कुछ सह चुका होता है बुढ़ापा। फिर क्यों बुढ़ापे से बचकर बैठने की सलाह दी जाती है? फिर क्यों उनके अनुभवों, सीखों से इतर रहते हैं हम? जबकि हम अच्छी तरह जानते हैं कि बुढ़ापा मुस्कराता हुआ कहीं न कहीं खड़ा हमारा इंतजार कर रहा है। हम उसे जानकर समझ नहीं रहे या कुछ और बात है।
-Harminder Singh
Wednesday, January 7, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
![]() |
|
| हमारे प्रेरणास्रोत | हमारे बुजुर्ग |
..शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय काम था मुंशी जी का ...अपने अंतिम दिनों में | तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? सम्मान के हकदार नेत्र सिंह रामकली जी दादी गौरजां |
![]() >>मेरी बहन नेत्रा >>मैडम मौली | >>गर्मी की छुट्टियां >>खराब समय >>दुलारी मौसी >>लंगूर वाला >>गीता पड़ी बीमार | >>फंदे में बंदर जानवर कितना भी चालाक क्यों न हो, इंसान उसे काबू में कर ही लेता है। रघु ने स्कूल से कहीं एक रस्सी तलाश कर ली. उसने रस्सी का एक फंदा बना लिया |
|
|
सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीराज सिद्धू ने व्यक्त किया अपना दुख बुढ़ापे का सहारा गरीबदास उन्हीं की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अपने पराये कर देते हैं और थकी हड्डियों को सहारा देने के बजाय उल्टे उनसे सहारे की उम्मीद करते हैं |
| ![]() |
|
|
अपने याद आते हैं राजाराम जी घर से दूर रह रहे हैं। उन्होंने कई साल पहले घर को अलविदा कह दिया है। लेकिन अपनों की दूरी अब कहीं न कहीं परेशान करती है, बिल्कुल भीतर से |
| दैनिक हिन्दुस्तान और वेबदुनिया में वृद्धग्राम |
![]() | ब्लॉग वार्ता : कहीं आप बूढ़े तो नहीं हो रहे -Ravish kumar NDTV | इन काँपते हाथों को बस थाम लो! -Ravindra Vyas WEBDUNIA.com |


![[ghar+se+school.png]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXxMSBNX5uceENhGZSCkr9K6RgrHLnyt2OdN48UC0OfEkO31AiMxFQ3Cj4Ce5NVMkXy4EVeQ4L9_vl5EnSKVHYVxFbgARWZcaqyPiN3tLN8HPFFow0JfI9YuE0yBZsJPpKFq6vPl9qczLO/s1600/ghar+se+school.png)
![[horam+singh.jpg]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh9jaEMBObfs4x2vNEaMGdvezya9ahQ-ir1sQsXJmDvJRQhnYYhku9TotkXKoxBNPyfE05g2NzvuQ3ge53ZLo8n0edVjkr9kymMw7TgXhNZjnLIdoMTcPDfbMmtKQ12dOgLwzbk-dynUzHl/s1600/horam+singh.jpg)
![[ARUN+DR.jpg]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg6QLlVFzl_UZ3_qJSh-_gOGe8D1k_HKnbomppy4Quj9l7tIM84poHpgZHiEVW8WkWTlYKFo0YGZY9Wn7-GP5vZeAZvUhDj58fIC0myIOaGF5jcIX3WCpFH6MIzUl-DAI1QGTG6cB4p0RAe/s1600/ARUN+DR.jpg)
![[old.jpg]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi6SiDZJDdaDGKCs08mVeQJcMgoCS_GYpLboAfQoKnmP4GJd56RzmOhD2j1hKSqQQ8GpFTbrZ6rb99WkSmPQOatB_O1ZeSEsXedARhvo_pKkCpD1yGUBDe0NqxjXZIjMZtxhCNnoZQjjBII/s1600/old.jpg)
![[kisna.jpg]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjIFS4TmPavnVX-YGEZp-Mgxs9CLpoYi1_65Y8wn2XpbhxLEqVSgK9ClUjNemCCCLttADcOJXOlWKGFqqPnYf2HOuMaZNlu5_i80iXbOnSPShdd7cKdpErPKFWuNTu3MsIH_JnDcZtIGjSC/s1600/kisna.jpg)

![[vradhgram_logo_1.png]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi2SMrQ5CiFzhP0WV95VylZWDhq8q002kir5m-nLr3mxZRylb7gLvGEsOApIdueOSJ0NbAqET2DrI_phyphenhyphenLIeOB4wdFeJQdEVprFfskWf2CSDKCtE2RY7m7Ip3IcSSMqcStYcZhmuQdH4gM/s1600/vradhgram_logo_1.png)

![[boodhi+kaki+kehete+hai_vradhgram.jpg]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhaMiIGvGsM4Ffib4Uxba3yZMgxmDF3BsconmXFFcIwtPxL9GY3vN8TxOD3ZLVhVKUNWQamp2ezCUT2V_dfB1CYjOHkWzG5sEi3uOTtCupUNv7gwQMRHdekh0zltLQdaNCw5bKyhEjJvMY0/s1600/boodhi+kaki+kehete+hai_vradhgram.jpg)

![[NIRMAL+SINGH.jpg]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjFUf8ZX7JJmU7Es2AfrE1M9DwfAfOF2cF8yqh21vzUpxM9wHMoGTvBEl4Nl1odpHtdIo_nSNbQyOW9vTDw19KumVr-YeCCjTow7PFWDvOy0bnX1JEAP0aPpMCv-5nxv6RXTQtgkV2og1d_/s1600/NIRMAL+SINGH.jpg)
![[jail+diary.jpg]](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgZZbbSj57vkBz0Nm8fKyppCyrZjadXaOcRAQThdiWfXxO19vzz-HFrjMtnyCwCVpUi6pSsOYOA4KKADao3HptLdNR3pnqRD7xbbDVWvYD-gD-JnxcZddlvDouvMplacu6gyvR-_Q8c_TPy/s1600/jail+diary.jpg)

बहुत सुंदर. हमें एक बात याद आ गयी. एक मित्र ने नौकरी छोड़ दी. अब उसके पास वक़्त ही वक़्त था. मानो रिटाइर ही हो गया हो. एक दिन वा अपने पुराने दफ़्तर जाता है. वहाँ एक मेडम ने पूछा कैसे बाजपई जी आजकल कैसे टाइम पास हो रहा है. बाजपई जी ने तुरंत उत्तर दिया, मेडम, आप भ्रम में जी रही हो. टाइम को हम पास नही करते बल्कि वो हमे पास आउट कर रहा है. कब सीखोगे.
ReplyDeletesingh ji comp ki adhik jaankaar nahi hoon bhasha samajh nahi aai
ReplyDeleteदोस्त, आपने समाज के मुंह पर एक करारा सा तमाचा जड़ा है ---शायद इस से ही कुछ शर्म आ जाये आज के समाज को ----
ReplyDeleteबुढ़ापा अनुभव लिये होता है। जीवन की सच्चाई से रुबरु हुआ होता है। पूरी उम्र का सार होता है बुढ़ापा। अनगिनत उतार-चढ़ावों को देख चुका होता है बुढ़ापा। परिवर्तनों का अहसास, हवा का रुख, दुख और सुख, सब कुछ सह चुका होता है बुढ़ापा। फिर क्यों बुढ़ापे से बचकर बैठने की सलाह दी जाती है?