प्रमुख शिक्षाविद सरदार श्योराज सिंह का ह्रदय गति रूक जाने से निधन हो गया। वे 65 वर्ष के थे। उनकी मृत्यू के समाचार से पूरे प्रदेश के शिक्षा जगत में शोक छा गया। इस समाचार से कई कालेजों में छुटटी कर दी गयी और शोक सभा कर उन्हें श्रृद्धा सुमन अर्पित किये।
सरदार श्योराज सिंह जे. पी. नगर जिले के ग्राम नंगलिया बहादुरपुर में एक साधारण कृषक परिवार में पैदा हुए। उन्होंने संसाधनों के आभाव में उच्च शिक्षा प्राप्त की। क्षेत्र के ग्रामाचलों में शिक्षा का उचित प्रबंध न होने के कारण वे क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था के प्रति हमेशा चिन्तित रहते थे। इसी कारण इन्होंने मूढा खेड़ा गांव में एक स्कूल की स्थापना की। अल्प समय में ही सरदार जी के प्रयास से यह संस्था जनता इंण्टर कालेज के नाम से विख्यात हुई। आस-पास के गावों के ऐसे बच्चों को यहां विशेष लाभ पहुंचा जो मंडी धनौरा, अमरोहा या गजरौला आदि स्थानों पर पढने नहीं जा सकते थे। कालेज के संस्थापक और प्रधानाचार्य दोनों उत्तरदायित्वों को निभाते रहे। यह कालेज उनके कार्यकाल में अनुशासन तथा शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ कालेजों में गिना जाने लगा। यहां प्रवेश लेने वालों की भीड़ लग गयी। दूर दराज के छात्रों के लिये उन्होंने छात्रावास की व्यवस्था की जो सफलता के साथ चल रही है।
सरदार श्योराज सिंह की योग्यता को देखते हुए शिक्षा विभाग ने उन्हे माध्यमिक शिक्षक सेवा चयन आयोग का सदस्य बनाया गया। वहां भी वे सबसे कर्मठ और इमानदार शिक्षाविद के रूप में सेवायें देते रहे। उस समय जे. पी. नगर के साथ ही मुरादाबाद और रामपुर जनपदों के शिक्षा मंदिरों के हित में जो किया उसका शिक्षा जगत हमेशा ऋणी रहेगा। सरदार श्योराज सिंह ने विधिवत तीन वर्ष पूर्व प्रधानाचार्य के पद से सेवनिवृति प्राप्त की लेकिन वे एक दिन भी शिक्षा जगत की निस्वार्थ सेवाओं से विरत नहीं रहे। वे केवल मूंढा खेड़ा के कालेज की सेवा में ही नहीं बल्कि कई अन्य शिक्षण संस्थाओं को भी शिक्षा निर्देश देते रहे। अनेक शिक्षक और कालेज उनसे सलाह लेने आते थे। ऐसे लोगों का उन्होंने उचित मार्गर्शन कर शिक्षा जगत की भरपूर और निस्वार्थ सेवा की।
ग्राम कौराला के एक नव युवक स जगजीत सिंह की प्रार्थना पर उन्होंने एक इंटर कालेज और कन्या डिग्री कालेज के निमार्ण संचालक और शिक्षा व्यवस्था में अपनी योग्यता और प्रतिभा का भरपूर योगदान किया। ये दोनों संस्थायें आज क्षेत्र की सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं में से है। यह सब स. श्योराज सिंह के दिशा निर्देश और परिश्रम का फल है।
विगत दिनों जुबीलेंट आरगेनोसिस लि0 नामक सबसे बड़ी औद्योगिक ईकाई की और से स. श्योराज सिंह को शिक्षा जगत की अभूतपूर्व की सेवाओं के लिये सम्मानित किया गया था। वे शिक्षा के क्षेत्र के अलावा कई धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहे। सरदार जी ने कभी भी अपनी सेवाओं के प्रचार प्रसार का प्रयास नहीं किया जैसा कि संप्रति हर क्षेत्र में हो रहा है। वे नाम के लिये नहीं बल्कि काम के लिये काम करते रहे। और यही उनकी महानता का कारण है। 24 अगस्त को काल के क्रूर हाथों ने उन्हें हमसे हमेशा के लिये छीन लिया। उस समय वे अपने पुत्र के पास गुड़गाव गये थे। 25 अगस्त को ब्रजघाट गंगा तट पर उनका अन्तिम संस्कार कर दिया गया।
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अनुशासन के तरफदार |
-harminder singh
श्रृद्धांजलि!!
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