मैं कभी-कभी हैरत में पड़ जाता हूं। ऐसा क्या है जीवन में जो उसे चलाता है? पता नहीं क्या है जिससे यह जीवन चलता है? .........पर हम खुश हैं कि जीवन चलता है।
‘‘कुछ कहते नहीं बन रहा ..........वो क्या चीज है जो चलाती है जीवन को ..........’’- शारदा अरोरा जी का यह कमेंट आज सुबह से ही मेरे जहन में घूम रहा है। कुछ नमी अभी बाकी है इस शीर्षक पर शारदा जी ने यह कमेंट किया था। इसका अर्थ बहुत गहरा है और शायद उसे विस्तार देना इतना आसान नहीं। हां, कई तरह से हम उसपर विचार जरुर कर सकते हैं।
जीवन की पहेली जितनी सुलझाने की कोशिश करते हैं, उतनी उलझती जाती है। मैं खुद को उलझा हुआ पाता हूं।
सवालों के ढेर पहले से ही इतने हैं कि उनका उत्तर देते ही नहीं बनता। जीवन हम जीते हैं जिसका सवाल हम हल नहीं कर पा रहे। यही तो जीवन का रहस्य है।
एक उलझी हुई कहानी जो जारी है। बस इतना कह सकता हूं कि कुछ तो है ऐसा जिससे यह जीवन चलता है।
-harminder singh
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हमारे प्रेरणास्रोत | हमारे बुजुर्ग |
...ऐसे थे मुंशी जी ..शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय काम था मुंशी जी का ...अपने अंतिम दिनों में | तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? सम्मान के हकदार नेत्र सिंह रामकली जी दादी गौरजां |
>>मेरी बहन नेत्रा >>मैडम मौली | >>गर्मी की छुट्टियां >>खराब समय >>दुलारी मौसी >>लंगूर वाला >>गीता पड़ी बीमार | >>फंदे में बंदर जानवर कितना भी चालाक क्यों न हो, इंसान उसे काबू में कर ही लेता है। रघु ने स्कूल से कहीं एक रस्सी तलाश कर ली. उसने रस्सी का एक फंदा बना लिया |
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सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीराज सिद्धू ने व्यक्त किया अपना दुख बुढ़ापे का सहारा गरीबदास उन्हीं की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अपने पराये कर देते हैं और थकी हड्डियों को सहारा देने के बजाय उल्टे उनसे सहारे की उम्मीद करते हैं |
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अपने याद आते हैं राजाराम जी घर से दूर रह रहे हैं। उन्होंने कई साल पहले घर को अलविदा कह दिया है। लेकिन अपनों की दूरी अब कहीं न कहीं परेशान करती है, बिल्कुल भीतर से |
दैनिक हिन्दुस्तान और वेबदुनिया में वृद्धग्राम |
ब्लॉग वार्ता : कहीं आप बूढ़े तो नहीं हो रहे -Ravish kumar NDTV | इन काँपते हाथों को बस थाम लो! -Ravindra Vyas WEBDUNIA.com |
जीवन को परिभाषा में बांधा नहीं जा सकता।.........यह इतना विशाल है कि कहा नहीं जा सकता।
ReplyDeletesahi kaha kuch to hai hi jo jeevan chalata hai...
ReplyDeleteसच ...कुछ तो है जो जीवन को चला रहा है....आज के परिपेक्ष्य में उम्र के ढलान पर बस जीवन चलता ही है...ना कोई उमंग होती है ना जीने की लालसा.
ReplyDeletesach kaha hai ye kisi ne koi tho chez hai jeeven me jo usko chalati hai
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