बीच बचाव कराने गए एक 65 वर्षीय वृद्ध को इतना पीटा गया कि वह कुछ ही समय में मर गया। यह पूरा घटनाक्रम शादी की दावत से प्रारंभ हुआ। हसनपुर के गांव जयतौली में नौबत सिंह नामक एक व्यक्ति दावत खाने गया था। गांव का एक ही व्यक्ति रामपाल उसे अपने घर बुला कर ले गया। दोनों में शराब के नशे में वहां मामूली बात पर झगड़ा हुआ। रामपाल ने नौबत सिंह के थप्पड़ मार दिया। नौबत के पुत्र समरपाल को जब इसका पता लगा तो वह अपने बेटे रोहित को लेकर रामपाल के घर पहुंच गया। वहां दोनों पक्षों में काफी हंगामा हुआ। मामला इतना बढ़ा कि बात मारपीट पर आ गई। रामपाल ने अपने भाईयों और साथियों के साथ मिलकर समरपाल और उसके बेटे की पिटाई कर दी। इसकी सूचना जब रोहित के नाना बसंता को लगी तो वे बीच बचाव करने पहुंच गये। लेकिन रामपाल ने उनकी लाठी डंडों से पिटाई शुरु कर दी। बूढ़े थे, बेहोश हो गये और कुछ ही समय में दम तोड़ दिया।
यह घटना 6 जुलाई 2008 की है। चार लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गयी है। इस तरह के मामले वैसे कम ही देखने को मिलते हैं लेकिन लोग यह नहीं समझते कि कम से कम बूढ़ों को बख्शे। बसंता तो बेचारे बीच बचाव कराने ही गये थे। वे निहत्थे थे और न उनका किसी से कोई बैर था। वे तो अपने दामाद और धेवते को बचाने के चक्कर में सुलह कराने की कोशिश कर रहे थे।
इस घटना से थोड़े हटकर एक घटना हसनपुर में कुछ समय पूर्व घटी थी जब एक वृद्ध को चोर समझकर गांव वालों ने मार दिया था। बाद में पता लगा कि वह बेचारा रात के अंधेरे में गलत घर की कुंदी खटकटा रहा था क्योंकि उसकी निगाह उतनी अच्छी नहीं थी।
-मनिन्दर सिंह (जेपी नगर, उत्तर प्रदेश)
Monday, July 7, 2008
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हमारे प्रेरणास्रोत | हमारे बुजुर्ग |
...ऐसे थे मुंशी जी ..शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय काम था मुंशी जी का ...अपने अंतिम दिनों में | तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है? सम्मान के हकदार नेत्र सिंह रामकली जी दादी गौरजां |
>>मेरी बहन नेत्रा >>मैडम मौली | >>गर्मी की छुट्टियां >>खराब समय >>दुलारी मौसी >>लंगूर वाला >>गीता पड़ी बीमार | >>फंदे में बंदर जानवर कितना भी चालाक क्यों न हो, इंसान उसे काबू में कर ही लेता है। रघु ने स्कूल से कहीं एक रस्सी तलाश कर ली. उसने रस्सी का एक फंदा बना लिया |
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सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य गिरीराज सिद्धू ने व्यक्त किया अपना दुख बुढ़ापे का सहारा गरीबदास उन्हीं की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अपने पराये कर देते हैं और थकी हड्डियों को सहारा देने के बजाय उल्टे उनसे सहारे की उम्मीद करते हैं |
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अपने याद आते हैं राजाराम जी घर से दूर रह रहे हैं। उन्होंने कई साल पहले घर को अलविदा कह दिया है। लेकिन अपनों की दूरी अब कहीं न कहीं परेशान करती है, बिल्कुल भीतर से |
दैनिक हिन्दुस्तान और वेबदुनिया में वृद्धग्राम |
ब्लॉग वार्ता : कहीं आप बूढ़े तो नहीं हो रहे -Ravish kumar NDTV | इन काँपते हाथों को बस थाम लो! -Ravindra Vyas WEBDUNIA.com |
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