राम कल बहुत गुस्से में था। उसने अंजलि को पता नहीं क्या-क्या कह दिया। उसने कहा:
"एक आखिरी कमेंट सुनती जाओ अपने फ़्रेंड्स के बारे में। रियलेटी यह है कि तुम्हारा कोई अच्छा दोस्त है ही नहीं। दरअसल तुम्हारे में ऐसी कोई खासियत ही नहीं है जो कोई तुम्हारा दोस्त बन सके। जिस दिन तुमने ये जो थोड़ा बहुत पढ़ती हो बंद कर दिया- then you will be completely out from your friend circle. न तुम किसी के साथ एडजस्ट कर सकती हो और न कोई तुम्हारे साथ।
तुम पहले भी अकेली थीं और अब भी अकेली हो........और अगर तुम ऐसी ही रहीं तो शायद पूरी जिंदगी अकेली ही रहो। जिस उम्र में तुम हो मैं उससे गुजर चुका हूं। रियलेटी को एक्सैप्ट करना सीखो.........वैसे रियलेटी उतनी बुरी भी नहीं है।
मैं जानता हूं कि तुम्हें काफी बुरा लग रहा होगा। तुम्हें लगता है, मैं तुम्हारे बारे में बुरा सोच सकता हूं। कभी नहीं होगा ऐसा और न ऐसा कभी हो सकता है। तुम्हें एक न एक दिन सच्चाई को मानना ही होगा।
............लेकिन................लेकिन दिल छोटा मत करो, क्योंकि दुनिया के किसी कोने में एक ऐसा शख्स है जो हमेशा तुम्हारे साथ है, और रहेगा, हमेशा।
मेरे लिए तुम हमेशा ‘स्पेशल’ रहोगी, और मैं स्पेशल लोगों को दुखी नहीं देख सकता, कभी नहीं।
प्लीज कभी दुखी मत होना,..............क्योंकि तुम खुश हो तो मैं खुश हूं।"
-harminder singh
आपने बिलकुल ठीक कहा,
ReplyDeleteइससे पहले थोडा दुःख तो होता है, पर अंत में काफी फायेदा मिलता है |
badhiya sirji
ReplyDeleteये बात आपने सच कही , कुछ न कुछ उस व्यक्ति में स्पेशल होगा, तभी तो वो एडजेस्ट नहीं कर पाती .
ReplyDeleteक्योंकि पूरा सच कभी एडजेस्ट हो ही नहीं सकता.
अकेला वही होता है जो सच के साथ हो.
तभी तो मशहूर कवी निदफ़हाज़ली ने कहा है
"दुश्मन वहुत है उसके ,जरुर आदमी अच्छा होगा "
Jise pyar karte hain...usse har dam nicha nahi dikhaya karte..
ReplyDeleteOne should respect his/her beloved's freedom.
Divya
जिसे हम प्यार करते हैं उसके लिए अक्सर ऐसा होता ही है, जब हम उन्हे समझाने की कोशिश करते हैं लेकिन जब वे हमारी बात नहीं समझते तो हमे गुस्सा आ जाता है और हम अपनी बात गुस्से मे कह जाते हैं तो सामने वाले को थोड़ा बुरा जरूर लगता है पर बाद मे उन्हे सच्चाई का एहसास हो ही जाता है।
ReplyDeleteलेकिन मुझे यह समझ में नहीं आया कि हम प्यार क्यों करते हैं?
ReplyDeleteहां हमारे लिए कोई बहुत खास हो सकता है और हम उसके लिए।
हम नहीं चाहते कि वह दुखी हो, लेकिन क्या प्यार में टकरार होना जरुरी है?
शानदार पोस्ट है...
ReplyDeleteप्यार में तकरार रिश्तों में रंग भर देती है ...बस यह तकरार एक दूसरे को अपमानित करने जैसी नहीं होनी चाहिए ...
ReplyDeleteगौरतलब है कि प्यार साथ ना चल पाए तो पीछे चलता है ....कभी आगे नहीं भागता ...
औकात नहीं देखता .....औकात नहीं दिखलाता ...!!