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मैंने बूढ़ी काकी से पूछा,‘‘हमें दूसरों की जरुरत क्यों पड़ती है?’’
काकी बोली,‘‘देखने में सवाल कितना सरल है। उत्तर तलाशने की जरुरत है जो उतना सरल नहीं। कुंए का तल छूने वाले कम होते हैं जबकि पानी कोई भी पी सकता है। मैंने हमेशा गहराई से विचार किया है।’’
कुछ समय बाद काकी ने कहा,‘‘हौंसला देते हैं हमें दूसरे। सहारा देते हैं हमें दूसरे। ........और जीवन जुड़कर जिया जाता है, न कि अकेले। अकेले रहकर नीरसता की बाहों में सिमटने से बेहतर है, लोगों के बीच रहना। हम नीरस क्यों रहें? अकेले क्यों रहें? अब जब कोई साथ न हो तो खुद से ही दोस्ती कर लेनी चाहिए। शायद कुछ लाभ मिले। मगर जीवन कहता है कि जब लोग आसपास हैं तो उनके साथ जिया जाये।’’
‘‘मैं आज अकेली हूं। कल ऐसा नहीं था। अपने माता-पिता के घर से विदाई के बाद तुम्हारे काका और मेरा साथ था। एक परिवार से दूसरे परिवार का सफर नई जिंदगी की शुरुआत थी। अब मैं अकेली हूं, लेकिन तुमसे बातें कर शायद खालीपन को दूर करने की कोशिश करती हूं।’’
‘‘इंसान मुस्कराते हुए अच्छे लगते हैं। तुम्हारे साथ मैं मुस्करा सकती हूं चाहें समय कम ही सही। मुझे काफी हौंसला मिला क्योंकि मैं इस उम्र के आखिरी पड़ाव में बिल्कुल निराश हो गयी थी। बूढ़ों को समझते कम लोग हैं, तुमने समझा। बूढ़ों से दूर होते हैं सब, तुम नहीं हुए। हमारे जैसों के लिए यही काफी है कि कोई दो शब्द कहता है, हम भी कहते हैं। कोई हमारी सुनता है, हम उसकी सुनते हैं। यह इंसानी रिश्ते की व्याख्या स्वत: ही कर देता है।’’
‘‘बोझ और तसल्ली दोनों जीवन में होते हैं। बोझ कम करने या खत्म होने पर तसल्ली का अहसास होता है। इसका कारण और निवारण लोग ही हैं। इंसान को भगवान ने अकेले जीवन व्यतीत करने के लिए नहीं कहा। उसे लोगों के बीच रहकर जिंदगी का स्वाद मिलता है। रुखे हो जाते हैं अकेलेपन में लोग। दुनियादारी यही कहती है:
"बिता लो जीवन पूरा,
रह न जाए कोई बात अधूरी,
सिमट न जाएं हम खुद में,
इसलिए साथ है जरुरी’’
‘‘तुम जानते हो कि अपनों का अपनापन हृदय को कितनी तसल्ली देता है। वे अपने ही होते हैं जो हर पल हमारा हाथ थामे रहते हैं। वे जब भी हमारे पास हैं, हमारे साथ हैं जब लड़खड़ाते हैं हम। गिरते हैं तो सहारा भी अपने ही बनते हैं।’’ काकी ने कहा।
मैंने सोचा कि इंसान इंसान बिना निर्जन है। वैसे ही जैसे बिन पत्तों के पेड़। हमें ठूंठ नहीं बनना जो खड़ा तो सीधा है, पर वह जीवन के सुनहरेपन की वादियों के मोड़ों से नहीं गुजरा।
एक पीड़ा जो अंतहीन है उसका असर कम होना चाहिए ताकि जीवन उपहास न करे। मैला जीवन किसने बताया। लोगों की हंसी इसे साफ कर देगी और उनका साथ भी। दुख होंगे कम। आंख होगी नम। यह नमी हर्ष की होगी।
-harminder singh
bahut positive soch..bahut khoob
ReplyDeleteबहुत बढ़िया...जीवन में सकारात्मकता बानी रहनी चाहिए...
ReplyDeleteअच्छी सकारात्मक बात!
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